\Naam
Hi Shyam\
Page 12
नाम ही श्याम
छोड़ गए मोहे श्याम जब से
रो रो
सूखे मेरे नैन तब से
बात अजब फिर हुई यह कैसे
बने आग आंसू और भी बरसे
बिरह अगन में यूं मैं झुलसी
झेल बिजली जले जैसे तुलसी
ढेर भई फिर भी मैं उछली
कण कण में तोहे पा के गाती
बावरी मैं यह समझ न पाई
बसे हो नाम में श्याम तुम ही
छोड़ोगे तुम ना मोहे कभी भी
जिऊँ या मरुँ रहूँ तुम्हरे पास
ही
- नारायण
०४/२५/१०
Free Download
Page 12
\Naam
Hi Shyam\
|